बशीर बद्र: तमाम लोग फ़रिश्ते हैं आदमी हूँ मैं
रोएँगे हम हज़ार बार कोई हमें सताए क्यूँ
हमने जो की थी मोहब्बत वो आज भी है, तेरे जुल्फों के साये की चाहत आज भी है, रात कटती है आज भी ख्यालों में तेरे, दीवानों सी मेरी वो हालत आज भी है, किसी और के तसब्बुर को उठती नहीं.
Sochte hu ki kya khu tuje.. tere didar ko ankhte trste hi mere bankr barish k bunde tu bhiga de muje. ik hasi ful ki tra khila de muje tere chuhan se mhak jau ge me ik baar us chuhan ka ahsas kr de muje
इस शे’र के असली मानी को समझने के लिए तसव्वुफ़ के दो बड़े सिद्धांतों को समझना ज़रूरी है। एक नज़रिए को हमा-ओस्त यानी सर्वशक्तिमान और दूसरे को हमा-अज़-ओस्त या सर्वव्यापी कहा गया है। हमा-ओस्त के मानी ''सब कुछ ख़ुदा है'' होता है। सूफ़ियों का कहना है कि ख़ुदा के सिवा किसी चीज़ का वजूद नहीं। यह ख़ुदा ही है जो विभिन्न रूपों में दिखाई देता है। हमा-अज़-ओस्त के मानी हैं कि सारी चीज़ें ख़ुदा से हैं। इसका मतलब है कि कोई चीज़ अपने आप में मौजूद नहीं बल्कि हर चीज़ को अपने अस्तित्व के लिए अल्लाह की ज़रूरत होती है।
ہر کِسی کی کہاں مفہوم تک رسائی ہے ہر Shayari کِسی کی کہاں مفہوم تک رسائی ہے
जब से वो हमारे ख्वाबों में आने लगे हैं।
हमा-ओस्त समूह से ताल्लुक़ रखने वाले सूफियों का कहना है कि चूँकि ख़ुदा ख़ुद फ़रमाता है कि मैं ज़मीन और आस्मानों का नूर हूँ इसलिए हर चीज़ उस नूर का एक हिस्सा है।
मिर्ज़ा ग़ालिब टैग : निगाह शेयर कीजिए
Zindagi hai nadan isliye chup hoon, Dard hi dard subah sham isliye chup hoon Keh du zamane se dastan apni, Usme ayega tera naam isliye chup hoon
Chupke se dhadkan me utar jaayenge, Raahen Ulfat me experienced se guzar jaayenge, Aap jo hamen itna chahenge, Hum to aapki saanson me pighal jaayenge.
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सरकती जाए है रुख़ से नक़ाब आहिस्ता आहिस्ता
फिर सोचा मैंने उन्हें तड़पाके दर्द मुझको ही होगा,